जब हम सोशल मीडिया, सिनेमा, अखबारों, किताबों और जुबानी किस्सों के माध्यम से सामाजिक असंतुलन का शिकार हो रहे जीवों के बारे में सुनकर उनकी पीड़ा को महशूस करते हैं तो हमारे अन्दर बर्फ की मानिंद जमी मानवता कई किस्तों में टूट- टूट कर पिघलती है जिससे हमारे अन्दर समाज को असंतुलित कर रही मानवीय प्रक्रियाओं के प्रति विरोधात्मक भाव, पृथ्वी से विलुप्त हो रहे जीवों, मानवीय कलाओं एवं सभ्यताओं के प्रति संरक्षण का भाव और वर्तमान समय में हो रहे अपराध, अन्याय, भ्रष्टाचार, बीमारी या प्राकृतिक संकट का शिकार हुए व्यक्ति के प्रति संवेदनात्मक भावों की बाढ़ आ जाती है। इस बाढ़ को रोकने के लिए धन - दौलत, इज्जत - सोहरत, सुख, आराम एवं प्यार पाने की हमारी आकांक्षाए और अपनों के प्रति हमारा मोह ___ एक मजबूत बांध का निर्माण करता है। इस बांध की मजबूती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज यह बांध पूरी दुनिया के 95% से भी अधिक व्यक्तियों को रोकने में कामयाब है। हजारों, लाखों में से कोई एक व्यक्ति ही भ्रम की मानवता का परित्याग कर इस बांध को तोड़ता है फिर वास्तविक मानवता की परिभाषा पर अमल करने के लिए किसी सामाजिक छेत्र विशेष में कार्य करना प्रारंभ कर देता है। मैं भी एक समाज सेवक के रूप में कार्य करने के पैसे कमाना चाहता हूँ।